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किसी की खुबसूरती से बावस्ता हो गया हूं।



किसी कि खूबसूरती से बावस्ता हो गया हूं
बहुत महंगा था पर तेरे लिए सस्ता हो गया हूं

तमाम दिलवाले यहीं से होकर गुज़रते हैं
टूटे दिलों का आसान सा रस्ता हो गया हूं

किसी हसीं चेहरे से अब दिल्लगी नही होगी
बिछड़ के तुझसे बेहाल मैं ख़स्ता हो गया हूं

मेरे अपनों की सहूलियत तो देखो परख़ने की
ख़रा सोना था घिसते घिसते जस्ता हो गया हूं

तमाम मुसीबतें मुझमें तब्दीलियां लाती गई
चेहरा खिल  उठा मानो गुलदस्ता हो गया हूं

बड़े नख्व़त से देखते है मेरे अपने मुझे आज
लगता है जय, मैं कोई पराया रिश्ता हो गया हूं

मृत्युंजय विश्वकर्मा

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4 Comments

Ravi Goyal

19-Jun-2021 10:19 PM

बहुत खूबसूरत रचना 👌👌

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Apeksha Mittal

28-May-2021 04:44 PM

Good

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Vfyjgxbvxfg

28-May-2021 01:59 PM

बहुत बढ़िया रचना

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